इस्लामाबाद: भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) तोड़ने का ऐलान किया है। भारत से जाने वाली नदियां पाकिस्तान की बड़ी आबादी की लाइफलाइन हैं। ऐसे में पाकिस्तानी सरकार अपनी जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फिक्रमंंद दिख रही है। इस संबंध में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने सोमवार को उच्च-स्तरीय बैठक की है। बैठक में भारत के IWT निलंबित करने के बाद पाकिस्तान के आगे के प्लान पर चर्चा की गई। पाकिस्तान ने सिंधु संधि को लेकर अपनी रणनीति बनाई है।एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताहित, पाकिस्तान के विदेश मंत्री
इशाक डार ने उच्च-स्तरीय बैठक में कहा कि पाकिस्तान IWT के तहत अपने जल अधिकारों की रक्षा के लिए सभी उचित कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ भारत का ये फैसला अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। वहीं दूसरी ओर इस संधि से छेड़छाड़ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा होता है।
सिंधु नदी 24 करोड़ लोगों की जीवन रेखा
इशाक डार ने आगे कहा, 'सिंधु नदी का पानी देश के 24 करोड़ लोगों की जीवन रेखा है। भारत की पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश निंदनीय है। पाकिस्तान सरकार IWT को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। IWT में एकतरफा रूप से संधि से बाहर निकलने का कोई प्रावधान नहीं है। IWT के आर्टिकल-12 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी देश इस संधि से तब तक नहीं हट सकता जब तक कि दोनों पक्ष इसके लिए सहमत ना हों।'
इशार डार ने कहा कि भारत IWT के अनुच्छेद 12(4) के तहत एकतरफा रूप से संधि को रद्द नहीं कर सकता है। अगर दोनों देशों में कोई विवाद होता है तो IWT में इसे सुलझाने के लिए व्यवस्था है। इसमें द्विपक्षीय वार्ता, तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय का विकल्प शामिल हैं। ऐसे में भारत को रोकने के लिए अनुच्छेद 9 का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान इस मामले को मध्यस्थता कोर्ट तक ले जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में जा सकता है पाकिस्तान
पाकिस्तान यूएन चार्टर के अनुच्छेद 35 के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संपर्क कर सकता है। यह अनुच्छेद किसी भी UN सदस्य राज्य को किसी विवाद या स्थिति को परिषद के ध्यान में लाने की अनुमति देता है जिससे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। भारत के संधि तोड़ने पर पाकिस्तान इन विकल्पों पर आगे बढ़ सकता है।
भारत और पाकिस्तान ने 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से
सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस डील का मकसद सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच बांटना है। इस समझौते में तीन पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को मिलना तय हुआ। तीन पश्चिम की नदियों- सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को देना तय किया गया।