गोंडा। आज से करीब 33 वर्ष पूर्व विश्व हिंदू परिषद के आवाहन पर वर्ष 1990 में कार सेवा शुरू हुई। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। अयोध्या के सभी रास्तों पर भारी पुलिस फोर्स लगा दी गई थी। लेकिन राम जन्मभूमि की चिंगारी प्रत्येक राम भक्त के हृदय में उबाल ले रही थी। भगवा कपड़ा देखते ही पुलिस गिरफ्तार कर लेती थी। फिर भी कारसेवकों के जुनून के आगे सारी व्यवस्था फीकी पड़ रही थी। कारसेवकों की सेवा के लिए विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता समाज के अन्य लोग भी उनके सहयोग में जुटे रहते थे।
गोंडा जिले के नवाबगंज थाना के गांव खरगूपुर के रहने वाले स्वर्गीय अंबिका प्रसाद पांडे का कारसेवा में बड़ा योगदान रहा है। उनके नाती बागेस पांडे बताते हैं कि उनके बाबा विश्व हिंदू परिषद के सदस्य थे। वर्ष 1990 में जब कार सेवा शुरू हुई। कारसेवा को रोकने के लिए मुलायम सिंह यादव की सरकार ने जगह-जगह पर फोर्स लगा दिया। विश्व हिंदू परिषद के ऐलान के बाद कारसेवक अयोध्या के लिए निकल पड़े। सरकार ने उस समय अयोध्या जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। यहां तक की बस और ट्रेन भी बंद कर दी गई थी। इसके बावजूद राम भक्तों का उत्साह कम होने का नाम नहीं ले रहा था। हमारे बाबा कुछ राम भक्तों को नदी पार कर अयोध्या पुल तक रास्ता बताने के लिए जा रहे थे। उन्होंने देखा कि पुल पर खड़े कार सेवकों पर अचानक पुलिस ने लाठियां बरसाना शुरू कर दी। पुलिस की लाठी से तमाम कार सेवक गंभीर रूप से घायल हो कर वहीं गिर पड़े। विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल समेत कई पदाधिकारी पुलिस की लाठी से घायल हो गए। उसके बाद कारसेवकों का आक्रोश भड़क गया था। कुछ कार सेवक सुरक्षा के चक्रव्यूह को तोड़ते हुए अयोध्या में प्रवेश कर गए। राम मंदिर आंदोलन में अंबिका प्रसाद पांडे के सक्रियता को देखकर कुछ समुदाय विशेष के लोगों ने पुलिस को सूचना दे दिया। इसके बाद पुलिस ने बाबा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 15 दिनों तक वह अयोध्या जेल में रहे।
अंबिका प्रसाद पांडे चंदा इकट्ठा कर कारसेवकों को करते थे भोजन
पुलिस से बचकर कारसेवकों को भोजन का पैकेट पहुंचते थे